हे ईश्वर (कविता)

ईर्ष्या करना भी एक काम है
काश, मैं यही ठीक से कर पाता
मैंने कुछ लोगों से ईर्ष्या की
और कुछ लोगों का भला चाहा
जिनका चाहा था मैंने भला
उनमें बेशतर की डूबी नाव
वे करते हैं अब मुझी से ईर्ष्या
और जिन भाइयों से मैंने ईर्ष्या की
उनका अब रवैया ही कुछ और है
वे सभी भागवान चाहते हैं
तहे-दिल से मेरा भला।


रचनाकार : असद ज़ैदी
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