जिगर में हमारे आग हम रखते,
बाँधे है कफ़न काल से न डरते।
दहाड़ मारकर शिकार है करते,
शेरों बीच रहे किसी से न डरते।।
कठिनाइयों का गहरा हो पहरा,
मौत से लड़कर विजय है पाना।
अब हारना हम को नहीं गवारा,
मैदान छोड़कर सीखा न जाना।।
भारतीय सेना विनती ना करती,
हौसलो से हमको जीत मिलती।
ना ख़ामोशी पर जाना तू हमारी
राख के अंदर भी आग मिलती।।
फ़र्क़ ना पड़ता दुश्मन है कितने,
छू लेते आसमान नीचे ना देखते।
अब हारना हम को नहीं गवारा,
हम हिंदुस्तानी उधार नही रखते।।
थोड़ा दिमाग़ से सोचा करो यारा,
बढाओ ना हमारा कोई भी पारा।
कठिन नही ऐसी जंग जीत पाना,
अब हारना हम को नहीं गवारा।।
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें