गुम-सुम तन्हा बैठा होगा (ग़ज़ल)

गुम-सुम तन्हा बैठा होगा
सिगरेट के कश भरता होगा

उस ने खिड़की खोली होगी
और गली में देखा होगा

ज़ोर से मेरा दिल धड़का है
उस ने मुझ को सोचा होगा

मैं तो हँसना भूल गया हूँ
वो भी शायद रोता होगा

ठंडी रात में आग जला कर
मेरा रस्ता तकता होगा


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