साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
भोजपुर, बिहार
1965
जहाँ बिल्ली को खदेड़ता दिख जाएगा ख़रगोश वहीं अपना घर बनाऊँगा वहीं शीत वसंत लाऊँगा वहीं लगाऊँगा सेब, नारंगी, संतरा वहाँ कामधेनु पोसूँगा, वहीं कवियों, बुलाऊँगा तुम्हें और काव्य-पाठ कराऊँगा जहाँ बिल्ली भागती होगी और पीछे से खदेड़ता होगा ख़रगोश...
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