ग़ालिब को सुनते हुए (कविता)

आपने मेरे सलाम का
जवाब नहीं दिया
चचा ग़ालिब
आप इतने उदास क्यूँ हैं
एक बात बताइए
आपको मौत से डर नहीं लगता
देखिए
यूँ हँस देने से काम नहीं चलेगा।

बुरा मत मानना
जितनी देर आप अपनी ग़ज़ल के
एक-एक शे'र को गुनगुनाते रहे हैं
उतनी देर
यदि आप अपना पाजामा ही धोते
तो शायद
ऐसी उदास ग़ज़लें
लिखने की नौबत ही नहीं आती
वैसे आप तो बड़े शाइर हैं
भला बताइए
इस समय
जब मैं
आपको प्रेम करने के गुर
बताने के मूड में हूँ,
आपकी इन ग़ज़लों का क्या करूँ?


रचनाकार : शरद बिलाैरे
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