साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश
1998
पधारो देव शिवनंदन। करूँ मैं आपका वन्दन। न पूजा पाठ पूरा है। तुम्हारे बिन अधूरा है। प्रथम तुम पूज्य प्रथमेश्वर। हरो सब विघ्न विघ्नेश्वर। सवारी आपकी मूषक। तुम्हें भाते बहुत मोदक। मिटा दो कष्ट लंबोदर। लपेटे आप पीतांबर। सदा पितु मातु के प्यारे। हरे तम भक्त के सारे।
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