साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
जौनपुर, उत्तर प्रदेश
1980
हे प्रभु! तेरी मूषक सवारी, गजानन तेरी महिमा प्यारी। भक्तों पर जब कष्ट पड़े तो, पल भर में कष्ट हरे तू सारी। प्रथम पूजनीय तू है देवता, गाएँ देव तेरी महिमा न्यारी। 'सृजन' पुकारे नाम तेरा अब, करुण पुकार सुन ले हमारी।
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