साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
पिथौरागढ़, उत्तराखण्ड
1971
अब पहुँची हो सड़क तुम गाँव जब पूरा गाँव शहर जा चुका है सड़क मुस्कुराई सचमुच कितने भोले हो भाई पत्थर, लकड़ी और खड़िया तो बची है न!
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