साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
करौली, राजस्थान
1954
एक ग़रीब का अकेलापन उसके ख़ाली पेट के सिवा कुछ नहीं अपनी दार्शनिक चिंता में दुहराता हूँ मैं यही एक बात।
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