साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
चल रहा है दुःखों का क़ाफ़िला! ख़ुशियाँ हैं पानी का बताशा! अपिरिचित शहर में क्या शनासा! राजधानी खोने लगी जिला! चाँदनी धूप सी तपने लगी! उजाले की देह कँपने लगी! राह में बबूलों का वन मिला!
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