दिल तुम्हारे दिल में अपना इक ठिकाना ढूँढ़ता है (ग़ज़ल)

दिल तुम्हारे दिल में अपना इक ठिकाना ढूँढ़ता है,
हो मिलन धरती का अंबर से बहाना ढूँढ़ता है।

खो दिया अनमोल जीवन तुमको पाने के लिए जो,
उस जवानी का ही तुमसे मेहनताना ढूँढ़ता है।

ना कहे अल्फ़ाज़ ऐसे जो चुभे दिल को तुम्हारे,
फिर हुए किस बात से बेरुख़ दिवाना ढूँढ़ता है।

खल रहा है यार सबको हम हुए जो श्लेष है अब,
किस तरह फिर से यमक हो यह ज़माना ढूँढ़ता है।

प्यार राझें हीर लैला को मिला जैसा जहाँ में,
हर कोई क्यों प्यार का ऐसा ख़ज़ाना ढूँढ़ता है।

प्यार में ऐसी कशिश जो थी दिखी पहले मिलन में,
प्यार ऐसा दिल तुम्हारे में पुराना ढूँढ़ता है।

"नैन से काजल" चुराकर कर लिए कजरार नैना,
"नैन का काजल" कहाँ पर अब ठिकाना ढूँढ़ता है।


रचनाकार : सुशील कुमार
लेखन तिथि : 23 अप्रैल, 2021
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अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
तक़ती : 2122 2122 2122 2122
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