दिल में मेरे कोई भूचाल सा ठहर गया (ग़ज़ल)

दिल में मेरे कोई, भूचाल-सा ठहर गया,
बस रह गया वो याद में, ख़्याल-सा ठहर गया।

बात कोई आ उठी, कि तीर सी वो है लगी,
ग़ुस्सा उतर गया सिर्फ़, मलाल-सा ठहर गया।

फिर आग सी उठी कोई, सब चूर कर गई,
धुँआ-धुँआ हो गया, जंजाल-सा ठहर गया।

क्यूँ कैसे कब हुआ, मुझको ना पता चला,
मेरे ज़हन में कोई, सवाल-सा ठहर गया।

लब है सिलें सिलें, अरमाँ कुछ दबें दबें,
कुछ भी ना कह सका, निढाल-सा ठहर गया।

बशर वो अब जा चुका, बातें ही बस है बची,
बातों में भी नशा उसका, कमाल-सा ठहर गया।

यूँ तो बहुत-सा कुछ, पा लिया है 'सुराज' ने,
उसके बग़ैर मैं पर, कंगाल-सा ठहर गया।


  • विषय : -  
लेखन तिथि : 20 मई 2025
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