देखो वसंत आया है (कविता)

वन-उपवन में फूल खिले,
सुगंध लगे बिखराने।
मकरंद की चाह लिए,
मधुकर लगे मँडराने।
भौंरों की मधुर गुंजन ने,
सबका मन हर्षाया है,
देखो वसंत आया है।

प्रकृति पर नव यौवन छाया,
धरा लगी इतराने।
आम्रमंजरीयों की महक से,
मौसम लगा बहकाने।
चटख पलाश के फूलों ने,
सबका मन हर्षाया है,
देखो वसंत आया है।

मस्त पवन के झोंके,
मन में मस्ती लगे जगाने।
कोयल की मीठी कूक सुन,
जिया लगा हर्षाने।
मतवाली वसंती बयार ने,
सबका मन हर्षाया है,
देखो वसंत आया है।

चारों ओर हरियाली छाई,
सरसों लगा लहराने।
वसंती हवा की थपकी पाकर,
वसुधा लगी मुस्काने।
दुल्हन सी सजी धरती ने,
सबका मन हर्षाया है,
देखो वसंत आया है।


रचनाकार : ब्रजेश कुमार
लेखन तिथि : फ़रवरी, 2022
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