दे दे मुझको तेरा हाथ (कविता)

ना मुझे धन दौलत,
ना मुझे स्वर्ग चाहिए।
साथ रहो बस तुम मेरे,
ऐसा प्यार भरा पल चाहिए।।

नयनों में बसे हो बस
एक दूजे के सपने अपने हो।
अगर मिले मुझे कुछ तुमसे,
तो वो तुम मेरे अपने हो।।

गिनकर साँसे लाया हूँ,
छोड़ उन्हे यही जाऊँगा।
अगर तुम लौट आई तो,
आख़िर तक साथ निभाऊँगा।।

ख़ुशियों भरा हर पल दूँगा,
झोली तेरा प्यार से भर दूँगा।
बदले में सिवा तुमसे दो पल,
और प्यार तुम्हारा तुमसे लूँगा।।

कहने को ना कुछ मेरे पास,
मुझे तो बस चाहिए तेरा साथ।
मम्मी पापा अगर राज़ी तेरे,
तो दे दे मुझको तेरा हाथ।।


रचनाकार : अंकुर सिंह
लेखन तिथि : अप्रैल, 2021
यह पृष्ठ 207 बार देखा गया है
×

अगली रचना

क्या क्या देखा


पिछली रचना

निशा चुभाती ख़ंजर
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें