दवा और दुआ (कविता)

दवा और दुआ
सिक्के के दो पहलुओं की तरह हैं
दवा तन पर असर करती है,
दवाएँ अपरिहार्य हो सकती हैं
लेकिन बिना धन के दवाएँ
भला कहाँ मिल सकती हैं?
दुआएँ मन से निकलती हैं
सीधे संबंधित की आत्मा को छूती हैं
अपना असर चुपचाप करती हैं।
यह और बात है कि
दवाएँ तत्काल की ज़रूरत होती हैं
मगर दुआएँ लंबे समय तक
अपना आधार देती हैं।
जब दवाएँ अपना असर दिखाना छोड़ देती हैं,
तब दुआएँ अपना चमत्कारिक असर दिखाती हैं,
असंभव को संभव दुआएँ ही कर पाती हैं।


लेखन तिथि : 28 जून, 2022
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