दफ़्तर में खिलौना (कविता)

सड़क, स्टेशन पार कर
लेट हुई ट्रेन का इंतज़ार कर
गाड़ी में धक्के खाता
ऊँघता और गालियाँ देता
दौड़ता, लिफ़्ट फलाँगता
दफ़्तर पहुँच गया।
बैग खोला तो
स्मरण-पत्र, माँगपत्र, शिकायतें
फ़ाइलों और टिफ़न के बीच
निकल पड़ा प्लास्टिक का बिगुल
जो सीटी की तरह बजता है।
सारा दफ़्तर चारों ओर जुट गया
बिगुल को डायनासोर के
जीवश्म की तरह घूर रहा है।
सिट्टी-पिट्टी गुम है
यह क्या हो गया
मेरी बच्ची ने बैग में
खिलौना क्यों रख दिया
धूल की परत में हँसी क्यों रख दी
सारे ब्रह्मांड को परेशान कर दिया
हाय मेरी बेटी क्या किया!
अनुशासन भंग कर दिया

सावधान!
यह आतंकवाद है।


रचनाकार : इब्बार रब्बी
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