दादी माँ (कविता)

रोज़ सवेरे स्कूल जाने
हमें जगाती दादी माँ।
अपने जीवन के अनुभव
हमें बताती है दादी माँ।।
रोज शाम को अच्छी सी
कहानी सुनाती दादी माँ।
कभी डाँटती पापा को
भौंह चढ़ाती दादी माँ।।
फिर भी लाड़ प्यार से
स्नेह जताती दादी माँ।
दादाजी से हँसी ठिठोली
हँसकर करती दादी माँ।।
मेरे सुने उपवन में
ख़ुशियाँ भरती दादी माँ।
पापा की बातों को सुनें
यह समझाती दादी माँ।।
ऐनक माथे पर फिर भी
शोर मचाती दादी माँ।
कभी मम्मी की पिटाई से
हमें बचाती दादी माँ।।
जब भी ग़लती हो जाए
रौब जमाती दादी माँ।
मेरे बिखरे पेन पुस्तक
बैग सजाती दादी माँ।।
यह करना वह नहीं करना
मुझे समझाती दादी माँ।
कभी रूठूँ तो गीत सुनाकर
मुझे मनाती दादी माँ।
मेरे जीवन के सबसे प्यारे
मेरे दादा और दादी माँ।।


रचनाकार : समय सिंह जौल
लेखन तिथि : 17 अक्टूबर, 2021
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