कोरोना से बचना है तो (नवगीत)

कोरोना से बचना
है तो
मास्क लगाएँ!

जीवन रक्षा की ख़ातिर
दो गज की दूरी!
साबुन-सेनेटाइजर
होता है ज़रूरी!!

है लाज़मी कुछ पल
अमन का–
बिगुल बजाएँ!

पोषक तो नही
अलबत्ता जान लेवा है!
मानव ही आहार है
मानव कलेवा है!!

बहती हुई
हवाएँ–
मातमी धुन सुनाएँ!

बुरा वक्त ये मानो
अजब सनक वाला है!
और आदमी बनता
मौत का निवाला है!!

हम किसके संग
हँसें-बोलें
और बताएँ!


लेखन तिथि : 2019
यह पृष्ठ 252 बार देखा गया है
×

अगली रचना

ग़म के साए


पिछली रचना

जाड़े का मौसम
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें