एक चिड़िया चमन में चहकने लगी,
जनक अँगना बहारें महकने लगी।
काँध बेटी चढ़े पग चले पग धरे,
तात की लाड़ली ख़्वाब पूरे करे,
लाड़-लाड़ो परी शाख उड़ने लगी।
अंक आँचल मिला माँ न्यारी मिली
छाँव ममता घनी संग साथी मिली,
लोक नज़रें सुनयना कसकने लगी।
भ्रात के साथ गुड़िया ठुमकती फिरे,
बात ही बात में बस ठुनकती फिरे,
नेह बंधन सजे वह मचलने लगी।
राह रोशन हुई लक्ष्य पूरा किया,
अंक से अंक का जोड़ हल कर लिया,
शून्य "श्री" साथ संख्या सजाने लगी।
एक बेटी अँगन में चहकने लगी,
देख बगिया बहारें महकने लगी।
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