पूरी ज़िन्दगी करता रहा वह संघर्ष वीर मराठा,
नाम था जिसका छत्रपति शिवाजी महाराजा।
महान उनको बनानें में समर्थ रामदास के हाथ,
दुःख दर्द अपनी प्रजा का ये राजा ही समझा।।
दादा कोणदेव के संरक्षण में ली विद्या अपार,
माँ जिजाऊ मार्गदर्शन से मिला धर्म-संस्कार।
महाराणा प्रताप जैसे बनें ये अग्रगणी शूरवीर,
राष्ट्रप्रेमी कर्त्तव्यनिष्ठ कर्मठ योद्धा था ये वीर।।
१९ फ़रवरी, १६३० में मराठा परिवार में जन्में,
पिता शाहजी एवं माता जीजाबाई के गर्भ से।
अमर स्वतंत्रता सेनानी बनके आपने दिखाया,
जुड़े हुए है अनेंक क़िस्से आपकी ज़िन्दगी से।।
बहुत लोग आपको हिन्दुओं का सम्राट कहते,
तो कई लोग आपको मराठों का गौरव कहते।
बचपन के खेल से ही किले को जीतना सीखें,
माते भवानी तुलजा की आप उपासना करते।।
आप अच्छे सेनानायक एवं कूटनितिज्ञ भी थे,
स्त्रियों के प्रति हिंसा उत्पीड़न विरोध किए थे।
नौसेना अहमियत समझकर नौसेना बनाएँ थे,
स्वयं प्रकट होकर देवी मैय्या तलवार दिए थे।।
राष्ट्रीयता के जीवंत परिचायक ये शिवाजी थे,
पत्नी विरांगना व आप हिंदुस्तानी शासक थे।
सारासच लिखा है हमनें इस कविता के अंदर,
गुरु के लिए शिवा शेरनी का दूध भी लाए थे।।
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