न ठनक
न खनक
न सनक
बस चुपचाप
धैर्य से
शांति से
अनवरत
सही दिशा में
होश और जोश के साथ
अपने लक्ष्य की ओर
आत्मविश्वास से
अपना कर्म कर
संसार
स्वतः प्रकाशित होने लगेगी
तेरी चमक से।
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है।
आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।