चलो साथियो संग संग चलो,
दीन दुखियों की गूँज बनते चलो।
चलो साथियो...
पहुँच गए हम चाँद सितारों तक,
जो दब कर रह गए, उन्हें उठाते चलो।
चलो साथियो...
गिरा दें काला गोरा जातियों की दीवारें,
एकजुट होकर मानवता के गीत गाते चलो।
चलो साथियो...
हाड़ मांस मज्जा सभी में एक है,
अंध रूढियों को तोड़ भेद मिटाते चलो।
चलो साथियो...
अभी विकार हैं समाज में अनेकों,
विकारों के मूल को मूल से उखाड़ते चलो।
चलो साथियो...
एक ही क्यारियों के पुष्प हम अनेकों,
अहं के भेद तज गुलशन महकाते चलो।
चलो साथियो...
बढें तो आगे क्या बढें जो तत्व समझ ना सके,
बढें तो, कुचले हुओं को उठाते चलो।
चलो साथियो...
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