साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
वाराणसी, उत्तर प्रदेश
1398 - 1518
चल हंसा वा देस जहँ पिया बसै चितचोर। सुरत सोहासिन है पनिहारेन, भरै टाढ़ बिन डारे॥ वहि देसवाँ बादर ना उमड़ै रिमझिम बरसै मेह। चौबारे में बैठ रहो ना, जा भीजहु निर्देह॥ वहि देसवा में नित्त पूर्निमा, कबहुँ न होय अँधेर। एक सुरज कै कवन बतावै, कोटिन सुरज ऊँजेर॥
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