साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3568
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
पूरब में दिनकर मुस्काया, भोर हुई! आँगन में गौरइया चहकी! चलती हुई हवा है महकी!! खेतों ने हल गले लगाया, भोर हुई! पगडंडी है राहगीर हैं! बरगद-पीपल बहुत धीर हैं!! फूलों पर शबाब है छाया, भोर हुई!
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