साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
बीकानेर, राजस्थान
1964
दीवार थी मेरे देखने पर दीवार न रही देखना दीवार हो गया हाथ लगाया फफक पड़ी कोई चेहरा था जाने कैसा किसका अँगुलियाँ फिराई वे सिसकने लगीं मेरे पीछे कोई सर पर हाथ रखे बैठा था उकड़ू भीतर के अँधेरे में डबडबाता मैं न था कभी अँधेरा न था डबडबान थी डबडबान में डबडबाती
अगली रचना
पिछली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें