साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल
1896 - 1961
भारति, जय, विजयकरे! कनक-शस्य-कमलधरे! लंका पदतल शतदल गर्जितोर्मि सागर-जल, धोता शुचि चरण युगल स्तव कर बहु-अर्थ-भरे। तरु-तृण-वन-लता वसन, अंचल में खचित सुमन, गंगा ज्योतिर्जल-कण धवल-धार हार गले। मुकुट शुभ्र हिम-तुषार, प्राण प्रणव ओंकार, ध्वनित दिशाएँ उदार, शतमुख-शतरव-मुखरे!
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