साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
फ़तेहपुर, उत्तर प्रदेश
1906 - 1988
भारत तू है हमको प्यारा, तू है सब देशों से न्यारा। मुकुट हिमालय तेरा सुंदर, धोता तेरे चरण समुंदर। गंगा यमुना की हैं धारा, जिनसे है पवित्र जग सारा। अन्न, फूल, फल, जल हैं प्यारे, तुझमें रत्न जवाहर न्यारे! राम कृष्ण से अंतर्यामी, तेरे सभी पुत्र हैं नामी। हम सदैव तेरा गुण गाएँ, सब विधि तेरा सुयश बढ़ाएँ।
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