भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले (कविता)

नारी शिक्षा की बन नव अरुणिमा,
सामाजिक अवसीदना बहुत सही।
अवरोध राह विविध संघर्ष अडिग,
महिला नेतृत्व प्रखरा शिखर रही।।

चली रख ध्येय अटल मन पाठशाला,
लंपट फेंके पत्थरें धूल सही।
अविचल अनासक्त स्व निश्चय शिक्षण,
अध्ययन अध्यापन अनुकूल रही।।

सावित्री बाई फुले वीरांगना,
महाराष्ट्र प्रथम शिक्षिका महिला थी।
सावित्री जन्म धन्य हो नायगांव,
तिथि ०३-०१-१८३१ ई॰ थी।।

माँ लक्ष्मी बाई खण्डो जी पिता,
नववयस ज्योतिबा फुले व्याही थी।
किन्तु थे प्रबल समर्थक स्त्री शिक्षा,
अध्ययन आश धेय मन पूर्ण हुई।।

थी आंग्ल प्रवीणा सावित्री मुदिता,
प्रथम कन्या विद्यालय खोली थी।
वय सतरह अठारह सौ अरतालिस,
नारी शिक्षा महान् सुधारक थी।

सन् इक्यावन नार्य जो दलित पीड़ित,
पृथक् विद्यालय शिक्षण स्थापित की।
की मुखर विरोध सामाजिक कुरीति,
विधवा शिरोमुंडन को बंद करी।

लखि जीर्ण शीर्ण वसन अवहेलित नारी,
प्यास आर्त्त खड़ी दलित नारी थी।
वर्जित उच्चवर्गीया नार्य जगत,
जातिबंध मुक्त पोखरा लाई थी।।

बड़ा समर्थक आज़ादी समता,
समतुल्य धरा मनुज नर नारी थी।
शिशुकन्या प्रतिबन्धक गृह स्थापित,
महिला सेवामण्डल निर्माणी थी।

सत्यलोक मंडल गतिविधि सक्रियता,
दलित अधिकार दिलाने उद्यत थी।
थी कुशल प्रशासिका संस्थान विविध,
प्लेग पीड़ित सेवारत अविरत थी।

असाध्य प्लेग महारोग ग्रसित स्वयं,
निशिदिन सेवारत वह सावित्री थी।
अठारह सौ सन्तानवे विकट वक्त,
लिखी स्वर्णिम अतीत पंचतत्त्व मिली।

थी महा पुरोधा साहित्य रचना,
'सुबोधरत्नाकर', 'काव्यफुले' थी।
उत्थान नार्य शक्ति गहन अध्ययन,
जीवन चरिता सावित्री प्रेरक थी।


लेखन तिथि : 3 जनवरी, 2021
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