साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
होशंगाबाद, मध्य प्रदेश
1889 - 1968
मत व्यर्थ पुकारे शूल-शूल, कह फूल-फूल, सह फूल-फूल। हरि को ही-तल में बंद किये, केहरि से कह नख हूल-हूल। कागों का सुन कर्तव्य-राग, कोकिल-काकलि को भूल-भूल। सुरपुर ठुकरा, आराध्य कहे, तो चल रौरव के कूल-कूल। भूखंड बिछा, आकाश ओढ़, नयनोदक ले, मोदक प्रहार, ब्रह्मांड हथेली पर उछाल, अपने जीवन-धन को निहार।
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