बहुत कम बच रहा है ऑक्सीजन (कविता)

बहुत कम बच रहा है ऑक्सीजन
नाक में मास्क लगाकर तो रोज़ जिया नहीं जा सकता
और न ही इसके लिए घर में दुबक कर बैठा जा सकता है
साँस लेने के लिए खुली जगह की ज़रूरत होती है
हम बंद हो रहे हैं सब ओर से

इतिहास में एक तारीख़ दर्ज है हिटलर के नाम
गैस चैंबर में दम घुट कर मर गए लोगों को
सबसे ज़्यादा ऑक्सीजन की ही ज़रूरत थी

इतिहास की वह एक घटना थी जो राजनीतिक थी
इतिहास से हम सीख ले सकते हैं कि
राजनीतिक घटनाएँ भी ऑक्सीजन के लिए ज़िम्मेदार होती हैं
बहुत कम बच रहा है ऑक्सीजन
इसका मतलब सिर्फ़ यह नहीं कि जंगल कट रहे हैं
या ग्रीन हाउस का उत्सर्जन बढ़ गया है
इसे इस तरह भी समझा जाना चाहिए कि
किसी एक आदमी या किसी एक रंग की
जातीयता और राष्ट्रीयता की बात
अचानक लाखों लोगों को मौत की नींद सुला सकती है।


रचनाकार : अनुज लुगुन
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