बहारो मेरा जीवन भी सँवारो (ग़ज़ल)

बहारो मेरा जीवन भी सँवारो,
कोई आए कहीं से यूँ पुकारो।

तुम्हीं से दिल ने सीखा है तड़पना,
तुम्हीं को दोश दूँगी ऐ नज़ारो।

सजाओ कोई कजरा लाओ गजरा,
लचकती डालियो तुम फूल वारो।

रचाओ मेरे इन हाथों में मेहंदी,
सजाओ माँग मेरी या सिधारो।

न जाने किस का साया दिल से गुज़रा,
ज़रा आवाज़ देना राज़दारो।


रचनाकार : कैफ़ी आज़मी
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