बड़ा उदास सफ़र है हमारे साथ रहो,
बस एक तुम पे नज़र है हमारे साथ रहो।
हम आज ऐसे किसी ज़िंदगी के मोड़ पे हैं,
न कोई राह न घर है हमारे साथ रहो।
तुम्हें ही छाँव समझ कर हम आ गए हैं इधर,
तुम्हारी गोद में सर है हमारे साथ रहो।
ये नाव दिल की अभी डूब ही न जाए कहीं,
हर एक साँस भँवर है हमारे साथ रहो।
ज़माना जिस को मोहब्बत का नाम देता रहा,
अभी अजानी डगर है हमारे साथ रहो।
उधर चराग़ धुएँ में घिरे घिरे हैं 'कुँवर',
इधर ये रात का डर है हमारे साथ रहो।
अगली रचना
गगन में जब अपना सितारा न देखापिछली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें