बड़ा उदास सफ़र है हमारे साथ रहो (ग़ज़ल)

बड़ा उदास सफ़र है हमारे साथ रहो,
बस एक तुम पे नज़र है हमारे साथ रहो।

हम आज ऐसे किसी ज़िंदगी के मोड़ पे हैं,
न कोई राह न घर है हमारे साथ रहो।

तुम्हें ही छाँव समझ कर हम आ गए हैं इधर,
तुम्हारी गोद में सर है हमारे साथ रहो।

ये नाव दिल की अभी डूब ही न जाए कहीं,
हर एक साँस भँवर है हमारे साथ रहो।

ज़माना जिस को मोहब्बत का नाम देता रहा,
अभी अजानी डगर है हमारे साथ रहो।

उधर चराग़ धुएँ में घिरे घिरे हैं 'कुँवर',
इधर ये रात का डर है हमारे साथ रहो।


रचनाकार : कुँअर बेचैन
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