दूर ही सही प्रिये तुम कभी
हमसे बात तो कर लिया करो।
झूठा ही सही, मन रखने को,
प्रेम से प्रेम का हिसाब कर लिया करो।।
व्याकुल अधीर मन मेरा
पुकार करे तार तार कर,
साँसों में प्रीत बहे
सुवास प्रेम का बनकर।
दो पल तुम भी कभी
संग संग मेरे जी लिया करो,
दूर ही सही प्रिये तुम कभी
हमसे बात तो कर लिया करो।
ख़्वाब, ख़्याल स्वप्न बनकर
तुम आते हो आते रहना,
मेरी साँसों में समीर बनकर
तुम सदा यूँ ही बहते रहना।
ख़्वाबों में तो आते ही हो
कभी हक़ीक़त में भी आया करो,
दूर ही सही प्रिये तुम कभी
हमसे बात तो कर लिया करो।
स्वप्न सुनहरे आते-जाते
कभी हँसाते, कभी रूलाते,
आशाओं के दीप कभी
बुझ जाते कभी जल जाते।
कभी तुम भी मेरे स्वर्णिम
स्वप्नों को सुनहरा कर जाओ,
दूर ही सही प्रिये तुम कभी
हमसे बात तो कर लिया करो।
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