ऐसा मेरा संविधान है (कविता)

हर रंग ख़ुद में समेटे यह एकता की शान है।
भारतीयों का मान है ऐसा मेरा संविधान है।।
2 वर्ष 11 माह 18 दिन का उपहार सुजान है।
26 जनवरी 1950 को लागू किया विधान है।।

दर्जनों भाषा सैकड़ों लिपि हज़ारों विधान है।
जो जोड़कर सबको रखता मेरा संविधान है।।
यही धर्म ग्रंथ पवित्र गीता बाइबल पाक कुरान है।
धर्मनिरपेक्षता निहित इसमें प्रार्थना यही अज़ान है।।

जाति धर्म के दायरे से ऊपर नैतिक निष्पक्ष विधान है।
स्वराज इसी से प्यारा वतन बना महान है।।
दलित दबे कुचलो का यह महान है।
ऊँच नीच कोई नहीं, समझता सबको इंसान है।।

जिनको सदियों से ग़ुलाम बनाया रखता उनका मान है।
जनता जिसको बनाए राजा सत्ता की देता उसको कमान है।।
यह मेरा सम्मान इसको फालतू समझता वह अनजान है।
शहीदों के लहू से बना बाबा भीम का एहसान है।।

देता कर्तव्य अधिकार न्योछावर इस पर जान है।
न्याय नीति से संपन्न ऐसा मेरा संविधान है।।
जिस से बनी पूरी दुनिया में मेरी अलग पहचान है।
विश्व में सबसे बड़ा लिखित संविधान है।।

शिक्षा का अधिकार इसी से मिलता सबको ज्ञान है।
स्वतंत्रता समानता मिली इसी से मिला उचित सम्मान है।।
मौलिक अधिकार देता रोटी कपड़ा और मकान है।
अभिव्यक्ति की आज़ादी सबको हो मज़दूर किसान है।।

टूटा उदास जब संविधान की छाती पर बैठकर किया अपमान है।
जब जब भी मानवता के हत्यारों ने पन्नों पर बैठ कर ली जान है।।
जब किसी थाने की हाजत ने निर्दोष की ली जान है।
उड़ाई गई मर्यादा की धज्जियाँ टूटा मेरा अरमान है।।

कई बार रोया है जब घोषित हत्यारे का किया बखान है।
संविधान की प्रति को जलाकर किया लहूलुहान है।।
संविधान को सुरक्षित रखना सुरक्षित भूत भविष्य वर्तमान है।
"समय" को सम्मान इसी से ऐसा मेरा संविधान है।।


रचनाकार : समय सिंह जौल
लेखन तिथि : 1 अगस्त, 2019
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