अभिनन्दन है माँ भारती तुम्हारा,
जन्म हुआ जो भारत वर्ष हमारा।
तुम ही सारे इस जगत की माता,
अवतरित हुएँ यहाँ स्वयं विधाता।।
भू भूमि धरती ज़मीन एवं वसुधा,
मही धरणी अचला उर्वी वसुंधरा।
धरित्री क्षिति अचला व रत्नगर्भा,
पृथ्वी और कहते है तुझको धरा।।
पत्थर औषधि एवं रत्नों की खान,
भूमि देवी भी है आपका ही नाम।
जल थल नदी समुन्द्र और पहाड़,
द्वीप द्वीपांतर देश नगर बसें ग्राम।।
अन्न पैदा करनें वाली है अन्नपूर्णा,
भार हम सबका है तुम्हीं पे सारा।
त्रेतायुग के आरंभ में जन्मी आप,
कंद-मूल खाता है तेरा जग सारा।।
तुमसे माया और है हमारी काया,
भगवान विष्णु का तुम हो छाया।
दूर-दूर तक फैला तेरा उजियारा,
स्थिर है आप जल के ऊपर मैया।।
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