आज़ादी के पचहत्तर साल (कविता)

हुई पचहत्तर की आज़ादी
अब नई अलख जगानी होगी,
देश के सभी युवाओं को अब
इसकी शान बढ़ानी होगी।

शहीदों की क़ुर्बानी की
हमको याद दिलानी होगी,
तिरंगे की रक्षा की अब
हमें सौगंध निभानी होगी।

अपने भारत देश की हमको
सुंदर छवि बनानी होगी,
आतंकी और देशद्रोहियों
को अब धूल चटानी होगी।

जाति-धर्म के नाम सुलगती
आग तो हमें बुझानी होगी,
हिंसा फैलाने वालों पर
बंदिश हमें लगानी होगी।

भारत माता के दुश्मन को
अपनी नज़र झुकानी होगी,
युवाओं को देश प्रेम की
सीख हमें समझानी होगी।

नई पीढ़ी को संस्कारों की
बातें हमें बतानी होगी,
जन गण मन, वंदे मातरम की
परिभाषा समझानी होगी।

स्वास्थ्य सफ़ाई और शिक्षा की
घर-घर ज्योति जलानी होगी,
सुंदर और उज्जवल भारत की
झाँकी हमें दिखानी होगी।

विज्ञान और तकनीकी में
प्रतिभा हमें दिखानी होगी,
भारत के प्रिय तिरंगे की
विश्व में शान बढ़ानी होगी।

हुई पचहत्तर की आज़ादी
अब नई अलख जगानी होगी।


लेखन तिथि : जुलाई, 2022
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