आप दिल की किताब हो जाओ (ग़ज़ल)

आप दिल की किताब हो जाओ,
ज़िंदगी का हिसाब हो जाओ।

आपको पढ़ सकूँ सलीक़े से,
दो घड़ी माहताब हो जाओ।

मीत मैं प्यार का सवाल बनूँ,
आप झट से जवाब हो जाओ।

दर्द का दौर जब कभी आए,
आँख मैं आप आब हो जाओ।

जागते में अगर न हो मिलना,
नींद मैं आप ख़्वाब हो जाओ।

रूह पाकर महक ज़रा ख़ुश हो
आप खिलता गुलाब हो जाओ

हार भी जीत सी लगे मुझको,
आप ऐसा ख़िताब हो जाओ।

सिर्फ़ आँखों मे लाज हो 'अंचल'
आप बस वो हिज़ाब हो जाओ।


लेखन तिथि : 2021
यह पृष्ठ 325 बार देखा गया है
×

अगली रचना

वो ग़ज़ल तुम्हारी है लेकिन वो मेरे मन की भाषा है


पिछली रचना

इतराता बलखाता यौवन
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें