साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश
1919 - 2002
आज सोचा तो आँसू भर आए मुद्दतें हो गईं मुस्कुराए हर क़दम पर उधर मुड़ के देखा उन की महफ़िल से हम उठ तो आए रह गई ज़िंदगी दर्द बन के दर्द दिल में छुपाए छुपाए दिल की नाज़ुक रगें टूटती हैं याद इतना भी कोई न आए
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