साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3549
मुम्बई, महाराष्ट्र
1981
मौन रहना– आमंत्रण है शोषण का द्योतक है कायरता का। कभी-कभी एक ग़ुस्सा है एक गंभीर ज्वालामुखी का फटने पर विनाश। कुछ भी हो दोनों में नुक़सान है। इंसान बनो! बोलो, लिखो, पढ़ो और लड़ो यही जीवटता है आदमी ज़िंदा है।
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