मेला राम वफ़ा | Mela Ram Wafa

मेला राम वफ़ा


पंजाब के राजकवि, पत्रकार, शायर और कहानीकार।


पंडित मेला राम

वफ़ा

26 जनवरी 1895

19 सितम्बर 1980

पंडित जय दास

पंडित भगत राम

संत राम (बड़े भाई)

बारे में


पंडित मेला राम वफ़ा का जन्म 26 जनवरी 1895 को संयुक्त पंजाब के सियालकोट जिले के गाँव दीपोके में हुआ। उनके पिता का नाम पंडित भगत राम था। वफ़ा साहब की प्रारंभिक शिक्षा उनके ननिहाल, किला सोबा सिंह में हुई। इसके बाद उन्होंने पसरूर के डिस्ट्रिक्ट बोर्ड हाई स्कूल से 10वीं की पढ़ाई पूरी की। इसी दौरान उनकी शादी भी संपन्न हुई।

वफ़ा साहब को कविताओं और शायरी का शौक किशोरावस्था से ही था। उन्होंने अपनी पहली शायरी मात्र 17 वर्ष की उम्र में की, जब वे 8वीं कक्षा के छात्र थे। 1922 में वे प्रसिद्ध शायर पंडित राम नारायण ‘अरमान’ दहलवी के शागिर्द बन गए। पंडित अरमान, दाग़ दहलवी के वरिष्ठ शागिर्दों में से एक थे। स्कूली जीवन में ही वफ़ा साहब की तार्किक सोच और भाषा पर पकड़ की झलक देखने को मिली, जब उन्होंने अपने हेडमास्टर की लिखी प्रार्थना में ग़लतियाँ निकालीं। हालांकि शुरू में हेडमास्टर नाराज़ हुए, पर बाद में वफ़ा साहब की बात सही साबित हुई।

वफ़ा साहब न केवल एक प्रखर कवि और शायर थे, बल्कि एक सच्चे देशभक्त भी थे। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। उनकी बाग़ी नज़्म "ऐ फिरंगी" ने अंग्रेजी हुकूमत को झकझोर दिया, जिसके चलते उन्हें दो साल की सज़ा भुगतनी पड़ी।

पत्रकारिता के क्षेत्र में भी वफ़ा साहब का योगदान उल्लेखनीय है। 1920 में लाला लाजपत राय द्वारा शुरू किए गए उर्दू दैनिक अख़बार "वंदे मातरम" की संपादकीय टीम का हिस्सा बने। 1922 में जब लाला लाजपत राय जेल गए, तो वफ़ा साहब को अख़बार का संपादक नियुक्त किया गया। हालांकि 1923 में अख़बार की नीतियों को लेकर मतभेद के कारण उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया। 1925 में मदन मोहन मालवीय ने जब "भीष्म" नामक दैनिक अख़बार शुरू किया, तो वफ़ा साहब को इसका संपादक बनाया गया। बाद में उन्होंने मालवीय जी के दूसरे अख़बार "वीर भारत" का भी संपादन किया।

उनकी दो प्रमुख पुस्तकें प्रकाशित हुईं - "सोज़े-वतन" (1941) और "संगे-मील" (1959)। उनके साहित्य और देशभक्ति के प्रति योगदान को सम्मानित करते हुए पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री सरदार प्रताप सिंह कैरों ने उन्हें "राज कवि" की उपाधि से नवाज़ा।
उनका देहांत 19 सितंबर 1980 को जालंधर, पंजाब में हुआ।

सियालकोट के और रचनाकार

ग़ज़ल (10)



            

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