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"आँख" पर रचनाएँ
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आँखों में आँसू होठों पे नग़्मा
(पारो शैवलिनी)
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
(राहत इन्दौरी)
बदलीं जो उनकी आँखें
(सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला')
ये भरी आँखें तुम्हारी
(कुँअर बेचैन)
आँखें
(रमेश चंद्र बाजपेयी)
आँखें देखकर
(गोरख पांडेय)
आँखों की महिमा
(अखिलेश श्रीवास्तव)
तुम्हारे नील झील-से नैन
(हरिवंश राय बच्चन)
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