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(कर्मवीर सिरोवा)
तुम मानव बनना भूले हो
(मनोज यादव 'विमल')
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(डॉ॰ ममता बनर्जी 'मंजरी')
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(दीपक झा 'राज')
आदमियत होने की शर्त लिखता हूँ
(विनय विश्वा)
आदमी ज़िंदा है
(संजय राजभर 'समित')
नहीं रोया कभी पशु
(डॉ॰ नेत्रपाल मलिक)
इंसान नहीं हम पंछी हैं
(सुषमा दीक्षित शुक्ला)
हम इनसान हैं...
(मंगलेश डबराल)
इंसान बनो
(अटल बिहारी वाजपेयी)
आदमी लगने लगा है कोई हौआ
(अविनाश ब्यौहार)
चूहा और मैं
(हरिशंकर परसाई)
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