फ़ैशन करना वो क्या जानें, जिनपर घर की ज़िम्मेदारी।
क्या जाने हम नेक अनाड़ी,
महँगा फोन अपाचे गाड़ी।
नही गया होटल में खाने,
पिज़्ज़ा बर्गर बीयर ताड़ी।
हम सिम्पल लड़के हैं हमको, चुपड़ी रोटी अतिशय प्यारी।
फ़ैशन करना वो क्या जानें, जिनपर घर की ज़िम्मेदारी।
देखी जब घर में लाचारी,
निकल गयी सारी मक्कारी।
जब से ज़िम्मेदार हुए हम,
भूल गए सब दुनियादारी।
अब तो केवल याद यही है, किसकी कितनी बची उधारी।
फ़ैशन करना वो क्या जानें, जिनपर घर की ज़िम्मेदारी।
होती नही ज़रूरत पूरी।
इच्छाएँ सब रहीं अधूरी।
अक्सर मिडिल क्लास के लड़के
झेल रहे हर इक मजबूरी।
जाते हैं परदेश छोड़ घर, करते रोज परिश्रम भारी।
फ़ैशन करना वो क्या जानें, जिनपर घर की ज़िम्मेदारी।
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