देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

वो बारिश का दिन (त्रिभंगी छंद)

वो बारिश का दिन, रहे लवलीन, काग़ज़ी नाव, अच्छे थे।
हम बच्चों का दल, देखते कमल, लड़ते थे पर, सच्चे थे।।
लड़कपन थी ख़ूब, कीचड़ में सुख, समय सुनहरा, कहाँ गया।
बाग़ों में झूला, न था झमेला, काट वृक्ष सब, छला गया।।

टर्र-टर्र मेंढक, रिमझिम रौनक, पकते जामुन, खाते थे।
खीरा औ' मक्का, सबका सिक्का, ख़ूब आनंद, पाते थे।।
खुले पाठशाला, हुए निराला, हँसते-हँसते, चलते थे।
बड़ा ही मौज था, न ही ख़ौफ़ था, मौसम के लय, ढलते थे।।


लेखन तिथि : 2021
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें