जहाँ आता बसंत-बयार,
कोयल भी करती गुंजार।
पपीहा की है पीन-पुकार,
आल्हा की गूँजती झंकार।
वही तो भारत मेरा है।।
आदर्श से भरा है इंसान,
रखते भाईचारे का मान।
एकता में जिनकी शान,
पत्थर में होते भगवान।
वही तो भारत मेरा है।।
वह प्यारा हिंद हमारा,
जहाँ बहती गंगा-मईया।
जहाँ राम के संग सीता,
राधा संग कृष्ण-कन्हैया।
वही तो भारत मेरा है।।
यही धरा हमें है प्यारी,
जहाँ बुद्ध लिए अवतार।
जिनके ज्ञान के आलोक से,
हुआ आलोकित संसार।
वही तो भारत मेरा है।।
जब थी न मिली आज़ादी,
कितनों ने है लाश बिछा दी।
कितनों के टूटे कंगन और,
कितनों ने सिंदूर मिटा दी।
वही तो भारत मेरा है।।
मेरा हिंद है सच्चा सोना,
मेरा हिंद है हीरा-मोती।
मेरे हिंद पे ही पड़ती है,
सूरज की पहली ज्योति।
वही तो भारत मेरा है।।
प्रवीन 'पथिक' - बलिया (उत्तर प्रदेश)
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