वही तो भारत मेरा है (गीत)

जहाँ आता बसंत-बयार,
कोयल भी करती गुंजार।
पपीहा की है पीन-पुकार,
आल्हा की गूँजती झंकार।
वही तो भारत मेरा है।।

आदर्श से भरा है इंसान,
रखते भाईचारे का मान।
एकता में जिनकी शान,
पत्थर में होते भगवान।
वही तो भारत मेरा है।।

वह प्यारा हिंद हमारा,
जहाँ बहती गंगा-मईया।
जहाँ राम के संग सीता,
राधा संग कृष्ण-कन्हैया।
वही तो भारत मेरा है।।

यही धरा हमें है प्यारी,
जहाँ बुद्ध लिए अवतार।
जिनके ज्ञान के आलोक से,
हुआ आलोकित संसार।
वही तो भारत मेरा है।।

जब थी न मिली आज़ादी,
कितनों ने है लाश बिछा दी।
कितनों के टूटे कंगन और,
कितनों ने सिंदूर मिटा दी।
वही तो भारत मेरा है।।

मेरा हिंद है सच्चा सोना,
मेरा हिंद है हीरा-मोती।
मेरे हिंद पे ही पड़ती है,
सूरज की पहली ज्योति।
वही तो भारत मेरा है।।

प्रवीन 'पथिक' - बलिया (उत्तर प्रदेश)


रचनाकार : प्रवीन 'पथिक'
लेखन तिथि : 12 अगस्त, 2021
यह पृष्ठ 52 बार देखा गया है
×

अगली रचना

जब तेरी याद आती है


पिछली रचना

बेबस ज़िन्दगी
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें