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वह युद्ध था (कविता) Editior's Choice

वह युद्ध था सत्यार्थ का,
जीवन के उस यथार्थ का।
वह युद्ध कुंठित बोध का,
बिन शोध के प्रतिशोध का।

वह युद्ध था दो नेत्र का,
भारत धरा कुरुक्षेत्र का।
वह युद्ध था धिक्कार का,
कुछ अंश के अधिकार का।

वह युद्ध था उस न्याय का,
जो पुत्र था अन्याय का।
वह युद्ध स्त्री अपमान का,
बिन ज्ञान के अभिमान का।

वह युद्ध था उपहास का,
वह युद्ध कुल के नाश का।
वह युद्ध था पुरुषार्थ का,
व्यक्तित्व के भावार्थ का।

वह युद्ध था गुरु शिष्य का,
वह युद्ध शोषित मनुष्य का।
वह युद्ध था धर्मार्थ का,
वह युद्ध दिव्य परमार्थ का।

वह युद्ध था परिधि बंध का,
वह युद्ध निज रक्त संबंध का।
वह युद्ध था शिष्य पार्थ का,
वह युद्ध था निज स्वार्थ का।

वह युद्ध था कूटजाल का,
वह युद्ध प्रलय के ज्वाल का।
वह युद्ध था अहंकार का,
अगणित नरों के संहार का।

वह युद्ध बुद्धि विपरीत का,
वह युद्ध था धर्म जीत का।
वह युद्ध माधव उपदेश का,
वह युद्ध धर्म संदेश का।


लेखन तिथि : 15 जून, 2021
            

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