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विजयादशमी (कविता)

विजय रावण पर श्रीराम की।
विजय दुष्ट पर कृपानिधान की।
विजय दानवता पर मानवता की।
विजय अपावन पर पावनता की।
विजय दुष्कर्म पर सत्कर्म की।
विजय आसत्य पर सत्य की।
विजय पाप पर पुण्य की।
विजय बुराई पर अच्छाई की।
विजय झूठ पर सच्चाई की।
विजय अनैतिकता पर नैतिकता की।
विजय अभिमान पर स्वाभिमान की।
विजय बाधाओं पर धैर्य और शौर्य की।
दुष्ट दसानन का दमन कर,
नीति का पाठ पढ़ाया।
व्यक्ति से नफ़रत न कर,
उसकी बुराइयों से नफ़रत का सन्देश हमें सिखलाया।
यही कारण था कि रावण की विद्वता से हो प्रभावित,
लक्ष्मण को भी चरणों की तरफ बिठा ज्ञान दिलवाया।
आओ हम भी समाज में फैली,
दसानन रूपी दस बुराइयों को भगाएँ।
काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह,
अशिक्षा, जाति-पांति, ऊँच-नीच,
भ्रूण हत्या और दहेज रूपी दसानन
पर विजय पताका फहराएँ।


लेखन तिथि : 5 अक्टूबर, 2021
            

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