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विजय दिवस (गीत) Editior's Choice

अरुणाभ शौर्य बलिदान वीर,
वतन विजय गीत मैं गाता हूँ।
जो भारत सीमा निशिवासर,
कर नमन हृदय मददाता हूँ।

कोख भारती पुलकित पावन,
शहीदों को शीश झुकाता हूँ।
गौरव गाथा अमरत्व विजय,
कीर्ति धवल देख मुस्काता हूँ।

कुसुमित भारत मुस्कान कुसुम,
बन सपूत लाज रख पाता हूँ।
नव प्रगति चहुँ अभिलाष वतन,
संरक्षक सीमा कहलाता हूँ।

नित मैं अतीत प्रहरी स्वर्णिम,
सम शान्ति सुखद रच पाता हूँ।
संकल्प ध्येय नित जाग्रत पथ,
पुरुषार्थ नवल रच पाता हूँ।

जय गान वतन अरमान वतन,
निर्माण राष्ट्र कर पाता हूँ।
बस ध्वजा तिरंगा हाथ थाम,
सम्मान राष्ट्र उद्गाता हूँ।

दे शीश राष्ट्र हित हर्षित मन,
वीर गति धन्य बन जाता है।
पद मातृभूमि दे बलि जीवन,
जय उषा किरण चमकता हूँ।

तज मोह कुटुंबी अपनापन,
तन-मन सर्वस्व लुटाता हूँ।
बस, आन बान हिय शान वतन,
राष्ट्र गीत विजय हर्षाता हूँ।

मैं बना धनंजय पार्थ कृष्ण,
चिर कार्तवीर्य रण जेता हूँ।
हूँ क्षमा दया औदार्य वीर,
पर, मधुसूदन बन जाता हूँ।

पृथिवी रक्षक शंकर त्रिशूल,
ब्रह्मोश शत्रु दहलाता हूँ।
मैं तेजस हिर विदारक रिपु,
हवन कुंड अग्नि बन जाता हूँ।

सेना हम भारत शौर्य कीर्ति,
परमवीर चक्र विजेता हूँ।
हो प्रलयंकर तूफ़ान विपद,
दमनार्थ चक्र बन जाता हूँ।

सौ जन्म धरा,पर राष्ट्र प्रथम,
शहीद वतन पर चाहता हूँ।
बाँटू ख़ुशियाँ जन मुख भारत,
मुस्कान दान मुस्काता हूँ।

हूँ अमर ज्योति यश गान वतन,
नित विजय दिवस बन जाता हूँ।
लिख गीत शौर्य अरि काल भाल,
विकराल काल नभ जाता हूँ।

हो हरित भरित भू वीर ललित,
सतरंग राष्ट्र नभ छाता हूँ।
रण महावीर नाथुला मुदित,
लद्दाख विजय गढ़ पाता हूँ।

जयकार राष्ट्र लहरा तिरंग,
लोहित तमांग नित भाता हूँ।
लेह द्रास ग्लेशियर सियाचिन,
रण विजय दीप जलाता हूँ।

है महापर्व शुभ विजय दिवस,
बलिदानी याद दिलाता हूँ।
बस, लाज रखूँ अनुपम भारत,
रख आश ईश जी पाता हूँ।

कुछ लम्हें बस, दुर्लभ जीवन,
रक्षार्थ राष्ट्र दे जाता हूँ।
दे ख़ुशियाँ जन सेवार्थ वतन,
पुरुषार्थ अमर कर पाता हूँ।


लेखन तिथि : 16 दिसम्बर, 2021
            

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