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वर्तमान बहुत बचकाना है (नवगीत)

एक खंडहर जिसमें
बना हुआ तहख़ाना है!
आस पास की उड़ती
ख़बरों ने पहचाना है!!

दरवाज़े इतिहासों के
पृष्ठ पलटते हैं!
अब आँगन कई कई
हिस्सों में बँटते हैं!!

समय सदियों के पूर्व का
लगता अंजाना है!

मुगलों से अंग्रेजों तक
की बची धरोहर!
मिलता है लोकगीतों में
सती का जौहर!!

देखकर लगता वर्तमान
बहुत बचकाना है!

कवच और कुंडल की
केवल रही कहानी!
सत्य उगलती रही
संत कबीर की बानी!!

सेनानायक कहाँ रहे
अलबत्ता थाना है!


  • विषय :
लेखन तिथि : 2019
            

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