वर्षों बीत गए
तुम्हारी याद में,
डूबती नैना
उमरता हृदय
भावुक मन लिए।
कहाँ जाऊँ?
किसको सुनाऊँ?
मन का विरहा
मन को सुनाऊँ।
चहुँओर अँधेरा फैल रहा
मन के प्रकाश पुंज में,
भाव विभोर हो रहा
मन आँगन के कोने में।
वर्षों बीत गए
तुम्हारी याद में,
डूबती नैना
उमरता हृदय
भावुक मन लिए।
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